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मिल्ली रहनुमा जावेद हबीब को 12 वीं बरसी पर श्रद्धांजलि

जावेद हबीब के विचार आज भी अनुकरणीय: हाजी नूर क़ुरैशी

ज़ुबैर शाद (बुलंदशहर) 

ऑल इंडिया मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के संस्थापक, प्रसिद्ध उर्दू पत्रकार व मिल्ली रहनुमा जावेद हबीब की 12 वीं बरसी के अवसर पर मदरसा क़ासिमिया अरबिया में आयोजित जलसा ए ख़िराजे अक़ीदत श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए हाजी नूर क़ुरैशी ने कहा कि जावेद हबीब क़ौम के सच्चे हमदर्द थे। उनकी ख़िदमात को फ़रामोश नहीं किया जा सकता। उनके विचार और शिक्षाएं आज भी अनुकरणीय हैं।
जलसे की अध्यक्षता हाजी ख़ुर्शीद आलम राही ने की तथा संचालन एडवोकेट इरशाद अहमद शरर ने किया। जामिया फारूक़िया के प्रबंधक क़ारी तलहा क़ासमी ने क़ुरान शरीफ़ की तिलावत व नाते पाक से जलसे का आगाज़ किया। हाजी ख़ुर्शीद आलम राही ने अध्यक्षीय भाषण में कहा जावेद हबीब की शिक्षा थी कि ‘सदा सच बोलो और ज़ुल्म के सामने झुको नहीं’ । उन्होंने एक बड़ा सपना देखा था मगर अफ़सोस वो उसे हक़ीक़त बनते न देख सके। मुख्य अतिथि मास्टर अब्दुल अली ने पुरनम आँखों से कहा कि जावेद हबीब जैसी शख्सियत सदियों में पैदा होती हैं।

मिल्ली कौंसिल के ज़िला अध्यक्ष मौलाना अब्दुर्रहमान काशफ़ी ने कहा कि जावेद हबीब साहेब के तजुर्बात की रोशनी में क़ौम की भलाई की राह तलाश की जाए यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि होगी। प्रसिद्ध शायर व शिक्षाविद मक़सूद जालिब ने कहा कि अपने वक़्त के चार प्रधानमंत्रीयों से मित्रतापूर्ण संबंध होने के बावजूद जावेद हबीब ने कभी अपने निजी स्वार्थ के लिए अनुचित लाभ नहीं लिया बल्कि क़ौम ओ मिल्लत की भलाई के लिए ही उनके हक़ की लड़ाई लड़ी मगर अफ़सोस क़ौम बहुत जल्द उन्हें फ़रामोश कर दिया।

मिल्ली कौंसिल के मंडलीय कॉर्डिनेटर व आयोजक डाॅ ज़हीर ख़ान ने कहा कि जावेद हबीब ने युवाओं को हर क्षेत्र में जागरूक करने और देश की तरक़्क़ी में भाग लेने के मुस्लिम यूथ कन्वेंशन की स्थापना की। उन्होंने उर्दू पत्रकारिता को भी नये आयाम दिये और साप्ताहिक हुजूम उर्दू अखबार भी निकाला। विशिष्ट अतिथि नेता शकील अहमद, डाॅ मौहम्मद फ़ाज़िल, सैयद कौसर आदि ने भी अपने विचार व्यक्त करते हुए मरहूम जावेद हबीब को ख़िराजे अक़ीदत पेश किया।
इस अवसर पर मास्टर अफज़ाल बर्नी, अख्तर इक़बाल, रिज़वान ग़ाज़ी, शाह नूर, हबीब ख़ाँ, आरिफ़ सैफी, ज़ुबैर शाद, दिल नवाज़, सुरूर अंसारी, मसूद आलम , चाहत हुसैन, समर अब्बास, कौसर अली, मौहम्मद फ़रीद और हसरत अली चौहान आदि उपस्थित रहे।

 

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