हजरत शेख बुरहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय 536 वाँ वार्षिक उर्स संपन्न
हजरत शेख बुरहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय 536 वाँ वार्षिक उर्स संपन्न

सिकंदराबाद – मक़सूद जालिब
प्रसिद्ध सूफी संत हजरत शेख बुरहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह का 536 वां दो दिवसीय वार्षिक उर्स कुल शरीफ़ की रस्म के साथ संपन्न हुआ। गद्दी नशीन सूफ़ी मौहम्मद हनीफ ने देश की खुशहाली और शांति के लिए विशेष प्रार्थना की।
जीटी रोड शाही ईदगाह के सामने स्थित दरगाह चिश्ती साहब में सोमवार को प्रातः पवित्र कुरान के पाठ से किया गया।
शाम को फ़ातेहा के बाद मीलाद शरीफ हुआ और उसके बाद रात्रि में इरफ़ान साबरी क़व्वाल असोड़ा वालों ने कव्वालियों का शानदार प्रोग्राम प्रस्तुत किया। इस मौके पर अक़ीदतमंदों ने हजरत बाबा बुरहानुद्दीन चिश्ती रहमतुल्लाह अलैह के मजार मुबारक पर चादर पेश की और अपनी मन्नतें मांगी।अक़ीदतमंदों की ओर से लंगर का भी एहतमाम किया गया। मंगलवार की शाम को मौहल्ला शीशों वाली मस्जिद से परंपरा अनुसार सूफी यामीन जाफ़री, अब्बासी के नेतृत्व में पंखे का शानदार जुलूस निकाला गया जो मौहल्ला रिसालदारान, हनुमान चौक, बड़ा बाजार, दिल्ली गेट, जीटी रोड होता हुआ दरगाह शरीफ पहुंचा जहां पहुंचकर अक़ीदतमंदों ने पंखे को मज़ार मुबारक पर पेश किया।
उर्स के दूसरे और अंतिम दिन शाम को फातेहा के बाद लंगर तक़सीम किया गया।
रात्रि में क़व्वालियों की खास महफ़िल हुई। जिसमें इरफ़ान साबरी क़व्वाल, मेहताब साबरी क़व्वाल , शराफत साबरी क़व्वाल और उनके साथियों ने सूफियाना कलाम प्रस्तुत करके समाँ बाँधा। गद्दी नशीन सूफ़ी मौहम्मद हनीफ चिश्ती साबरी ने कुल शरीफ़ की रस्म के मौक़े पर देश की एकता, अखंडता, अम्न ओ खुशहाली की विशेष दुआ कराई। कुल शरीफ़ की रस्म के साथ ही उर्स का समापन किया गया।
इस अवसर पर डाॅ सैयद उमर शाह मिस्कीनी, सैयद ताजुद्दीन शाह ताजी मिस्कीनी, सूफी यामीन जाफ़री,सूफी बाबुद्दीन अबुल उलाई, सूफ़ी शरीफ अहमद, सूफी शाकिर गाजी, मुतीब खां, बादशाह मिस्कीनी , हाफ़िज़ निज़ाम ग़ाज़ी, छोटू अलवी, नेता मुस्तक़ीम खाँ, सिराज अलवी, तारिक अनवर अलवी, शमशाद अंसारी,
अखलाक अब्बासी, आसिफ अंसारी, क़दीम गाज़ी , नज़र ग़ाज़ी, शब्बीर मंसूरी, ज़ैद अंसारी, आमिर लाइट अशफ़ाक़ अंसारी, हाजी वासिफ अंसारी,रज़ा अब्बास, रानी किन्नर, ज़िया अंसारी, इस्माईल शैख़, सईद ग़ाज़ी, आमिर ज़ैदी, मक़सूद जालिब
आदि खासतौर पर मौजूद रहे |