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खुदा की बारगाह में झुके मोमिनों के सर रमजान के आखिरी जुमे में उमड़ा जन सैलाब

खुदा की बारगाह में झुके मोमिनों के सर रमजान के आखिरी जुमे में उमड़ा जन सैलाब

सिकंदराबाद – मक़सूद जालिब

पवित्र माह रमजान मुबारक के आखिरी जुमे जुमा तुल विदा की नमाज़ हजारों मुसलमानों ने अक़ीदत ओ एहतराम और अम्न ओ शांति से अदा की। शाही इमाम मौलाना मुहम्मद आरिफ़ क़ासमी ने मुसलमान से इस्लामी शिक्षाओं पर चलने की
अपील करते हुए गरीबों, मिस्कीनों और जरूरतमंदों की मदद करने का आह्वान किया।
शुक्रवार को काजीवाड़ा स्थित शाही जामा मस्जिद में जुमा तुल विदा की नमाज शाही इमाम मौलाना मौहम्मद आरिफ कासमी ने अदा कराई ।

उन्होंने अपने खुतबे के दौरान इस्लाम के पांच स्तंभों का तफसील से जिक्र करते हुए कहा कि इस्लाम का मतलब सिर्फ रोज़ा, नमाज़,ज़कात और हज उमरा नहीं बल्कि मामलात, व्यवहार में कारोबार, बाजार में, नौकरी और व्यापार में इस्लामी शिक्षाओं का पालन करना है। किसी को धोखा देना, कम तोलना, झूठ बोलना, लड़ाई झगड़ा करना, किसी की जमीन या माल दबाना यह इस्लाम के मानने वालों के काम नहीं है। उन्होंने मुसलमान को गरीबों और जरूरतमंदों की मदद सदका,ज़कात और फितरे से करने की अपील की। उन्होंने कहा कि ईद की नमाज से पहले पहले सदका ए फ़ितर अदा कर देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो मालदार लोग हैं वह सदक़ा ए फ़ितर गेहूं से न देकर किशमिश, मुनक्का आदि से दें तो इससे गरीबों की ज्यादा मदद हो सकेगी। उन्होंने खुद की बारगाह में अपने गुनाहों की माफी मांगते हुए रमजान के पवित्र माह के वसीले से भारत सहित विश्व में सुख शांति समृद्धि की दुआ की।उन्होंने आगामी इस्लामी त्योहार ईद उल फितर के मद्देनजर युवाओं से अनुशासन बनाए रखने और बिना वाहनों के ईदगाह जाने और सादगी से ईद मनाने की बात भी कही।

इस मौके पर स्थानीय पुलिस प्रशासन की चौकस व्यवस्था के चलते किसी अप्रिय घटना का कहीं से कोई समाचार नहीं है। नमाज के बाद लोग खामोशी से अपने-अपने घरों को रवाना हो गए।

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