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अलहाज बाबा सैयद फ़रीद मिस्कीनी साबरी का तीसरा वार्षिक उर्स संपन्न

धार्मिक एकता वक़्त की अहम ज़रूरत ؛ सैयद शाह हुसैन मिस्कीनी

इक़बाल सैफी – सिकंदराबाद

हिन्दू मुस्लिम एकता के प्रतीक अल्हाज बाबा सैयद फ़रीदुद्दीन शाह मिस्कीनी ताजी साबरी का एक दिवसीय तीसरा वार्षिक उर्स श्रद्धा एवं शांति पूर्वक संपन्न हुआ। बेहद ठंड के बावजूद उर्स में विभिन्न अंचलों के बाबा के सेंकड़ों अनुयाई व अक़ीदतमंदों ने बाबा फ़रीद शाह मिस्कीनी के मज़ार पर चादरें पेश कर श्रद्धांजलि अर्पित की। सज्जादानशीन सैयद बाबा शाह हुसैन मिस्कीनी ने देश में एकता और शांति के लिए विशेष प्रार्थना की। उर्स के मुख्य आकर्षण विभिन्न क़व्वालों ने सूफ़ियाना कलाम पेश कर अक़ीदतमंदों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

शनिवार को प्रातः क़ुरान ख़्वानी से उर्स का आगाज़ हुआ। शाम को फातेहा के बाद चादर का जुलूस सज्जादानशीन सैयद शाह हुसैन मिस्कीनी ताजी के नेतृत्त्व में दरगाह हाजी बाबा मिस्कीन पहुंचा जहाँ अक़ीदतमंदों और बाबा फ़रीद मिस्कीनी ताजी साबरी के मुरीदों ने मज़ार मुबारक पर फूल और चादरें पेश कर अपनी मन्नतें मांगी।

रात्रि में गौस मंज़िल में मीलाद शरीफ़ और जलसा नात ओ तक़रीर जिसमें मौलाना मुफ़्ती फ़ुरक़ान मिस्बाही, मौलाना तौहीद रज़ा, मौलाना क़ारी शाहिद, हाफ़िज़ नफ़ीसुल हसन कादरी, रिहान साबरी, नूरे नज़र और मसरूर सैफी ने भाग लिया। तत्पश्चात महफ़िले क़व्वाली का आयोजन हुआ जिसमें लईक ताज क़व्वाल और ज़मीर समीर आदि क़व्वालों और उनके हमनवाओं ने सूफ़ियाना कलाम पेश कर अक़ीदतमंदों को झूमने पर मजबूर कर दिया।


तड़के 4 बजे क़ुल शरीफ़ की रस्म में सज्जादानशीन बाबा शाह हुसैन मिस्कीनी ने उर्स में देश के विभिन्न प्रांतों से आये बाबा के मुरीदों और उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि *सूफी संतों ने सदैव सत्य अहिंसा और प्रेम का मार्ग दिखाया है। उनकी शिक्षाओं का आज भी अनुसरण करके मोक्ष का मार्ग प्राप्त किया जा सकता है*। *उन्होंने कहा कि देश के वर्तमान परिदृश्य में सामाजिक व धार्मिक एकता से ही सुख शांति समृद्धि प्राप्त की जा सकती है*। अंत में सज्जादानशीन ने देश की एकता खुशहाली और शांति की विशेष प्रार्थना कराई।
इस अवसर पर सैयद फ़ख़रुद्दीन शाह मिस्कीनी, सैयद सज्जाद शाह मिस्कीनी, सैयद आतिफ शाह मिस्कीनी, मुतीब खान, नेता शकील अहमद, सद्दीक़ खां, यूसुफ खाँ, आमिर ज़ैदी, गुड्डू, सूफी शरीफ़ अहमद, सूफी बाबू, डाॅ ज़हीर सूफी, सूफी शमशाद, सूफी हनीफ, बादशाह मिस्कीनी, सूफी शाकिर ग़ाज़ी आदि मोजूद रहे।

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