अदबी एकता कौंसिल ख़ुर्जा के तत्वावधान मेंशा नदार मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन
अदबी एकता कौंसिल ख़ुर्जा के तत्वावधान मेंशा नदार मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन
इकबाल सैफी
ख़ुर्जा – अदबी एकता काउंसिल ख़ुर्जा की जानिब से रिफ़ाहे आम इंटर कॉलेज में एक शानदार मुशायरा और कवि सम्मेलन संपन्न हुआ। जिसमें खुर्जा के शायर व कवि जीपी सिंह सफ़र की पुस्तक *नवघोष* का विमोचन भी किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता खुर्जा के पूर्व विधायक श्री बुद्धपाल सिंह सजग ने की तथा संचालन दिल्ली से पधारे शायर सैयद अली अब्बास नौगाॅंवीं ने अपनी उत्कृष्ट शैली में किया।
मुख्य अतिथि के रूप में देवेंद्र देव मिर्जापुर तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में इरशाद अहमद शरर
एडवोकेट, जुगेंद्र सिंह वैध , डॉ जावेद तथा ऐन मीम कौसर उपस्थित रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ सुमन बहार की सरस्वती वंदना और सैयद अली अब्बास नौगाॅंवीं की नाते पाक से हुआ। कार्यक्रम में खुर्जा तथा दूर दराज के शाईरों और कवियों ने अपना कलाम प्रस्तुत किया जिसके कुछ पसंदीदा शेर आपके सामने प्रस्तुत हैं-
*इरशाद अहमद शरर* कहते हैं कि
आंसुओं से जो लिखा नाम तेरा पानी पर ,
बारिशों को भी मिटाने में बहुत देर लगी।।
*सैयद निजामी शैदा राही* कहते हैं कि
जिंदा है उनका नाम ज़माने में आज भी,
शैदा जो अपने मुल्क पर कुर्बान हो गए।
*ऐन मीम कौसर* कहते हैं कि
चांद तारों की तरह तुम मोतबर हो जाओगे,
शाईरों से दोस्ती कर लो अमर हो जाओगे।
*सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं* कहते हैं कि
जमीं पर रेंगती फिरती थीं ऐ अब्बास जो कल तक,
ताज्जुब है के ऐसी चींटियों के पर निकल आए।
पुस्तक ‘नवघोष’ के कवि *जीपी सिंह सफ़र* कहते हैं कि
हिंदू मुस्लिम सिख इसाई रहते हैं जितने यहाँ,
सब की नजरों में बराबर देश का सम्मान है।
*फ़हीम कमलापुरी* कहते हैं कि
गर तुझे पहुंचना है अर्श की बुलंदी पर,
ले दुआ बुजुर्गों की काम तेरे आनी है।
*शायर अल जमील* कहते हैं कि
तड़पती सुबह से पहले सिसकती शाम से पहले,
कोई गर्दिश नहीं थी गर्दिशे अय्याम से पहले।
*सुमन बहार* ने यूँ कहा कि
वैसा ही हुआ चाहा था जैसा ना करेंगे,
सोचा था तेरे बारे में सोचा ना करेंगे।
*हनीफ आरजू* कहते हैं कि
गली-गली का अजीबो गरीब नक्शा था,
मैं अपने शहर को मुद्दत के बाद लौटा था।
*लियाकत कमलापुरी* ने पढ़ा कि
मैं भी उसका शैदाई हूं उस पर जान छिड़कता हूं ,
जिसके नाम से फूल खिले थे नमरूदी अंगारों में।
*नाज़िम शिकारपुरी* कहते हैं कि
अगर चे रंग भी रखता है एक कशिश लेकर,
गुलाब अपनी महक से गुलाब होता है।
*ग़ुफ़रान राशिद ने यूँ पढ़ा कि
घर की जीनत बनते बनते थक गया हूं जिंदगी,
हार बैठा लड़ते-लड़ते बेउसूली जिंदगी।
*मेहरबान ताजिर* कहते हैं कि
एक मुफ़लिस की बेटी जवान क्या हुई,
लोग घर में वाहनों से आने लगे ।
इनके अलावा देवेंद्र देव मिर्जापुर, बुद्ध पाल सिंह सजग, जुगेंद्र सिंह वैद, सुरेंद्र पाल शर्मा , जयकिशन अग्रवाल, साधना अग्रवाल ने भी अपना कलाम प्रस्तुत कर खूब वाहवाही लूटी। कार्यक्रम बहुत ही शानदार और कामयाब रहा। खुर्जा की यह अदबी कौंसिल बहुत ज़माने से इस तरह के कार्यक्रम कराती रहती है। इस बार संस्था की ओर से पांच लोगों को शॉल उढ़ा कर देवेंद्र देव मिर्जापुरी, सैयद अली अब्बास नोगाॅंवीं, जीपी सिंह सफ़र, आफ़ा हाशमी, महफ़ूज़ इक़बाल को सम्मानित किया गया।
अंत में अदबी एकता काउंसिल के जनरल सेक्रेटरी आफ़ाक़ हाशमी तथा अध्यक्ष जीपी सिंह सफ़र और कोषाध्यक्ष महफूज इकबाल ने सभी आने वालों का शुक्रिया अदा किया।