उर्दू पत्रकारिता के विकास में अल जमीयत अखबार की अहम भूमिका ,बुलंदशहर में आयोजित ‘शुक्रिया सभा’ में वक्ताओं के विचार
उर्दू पत्रकारिता के विकास में अल जमीयत अखबार की अहम भूमिका ,बुलंदशहर में आयोजित 'शुक्रिया सभा' में वक्ताओं के विचार

बुलंदशहर – मक़सूद जालिब
चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अंतर्गत रिसर्च स्कॉलर साजिद अली को उर्दू में ‘उर्दू पत्रकारिता और अखबार अल जमीयत’ विषय पर पी एच डी की डिग्री प्रदान करने पर एक मुबारकबादी जलसे का आयोजन ऊपरकोट काली मस्जिद के मदरसा क़ासिमया अरबिया इस्लामिया में किया गया। जिसकी सदारत हाजी नूर मौहम्मद कुरैशी ने की और संचालन डॉक्टर जहीर अहमद खान ने किया।
जलसे का आगाज मस्जिद अहले हदीस के इमाम हाफिज शकील अहमद ने कुरान के पवित्र पाठ से किया और नाते पाक चाहत हुसैन ने पेश की। जलसे में चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ इरशाद अहमद स्यानवी मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
शुजातुल्लाह खान यालिश के स्वागतीय भाषण के बाद साहित्यिक संस्था बज़्मे ख़ुलूस ओ अदब के अध्यक्ष हाजी चौधरी खुर्शीद आलम राही ने मुख्य अतिथि का स्वागत करते हुए कहा कि डाॅ इरशाद स्यानवी आसमाने अदब के रोशन सितारे हैं। वह अपने खूने जिगर से उर्दू साहित्य को परवान चढ़ा रहे हैं। उन्होंने अपने प्रयासों और मेहनत से उर्दू साहित्य को नई दिशा और दशा प्रदान की है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता मेजर डॉ मौहम्मद फाजिल, (डीपीएस स्कूल) ने उर्दू पत्रकारिता और अखबार अल जमीयत के संबंध में किताबों पर तल्खीस और तब्सिरा पेश करते हुए कहा कि हम डॉक्टर साजिद अली के शुक्रगुजार हैं कि उन्होंने तकरीबन तमामतर उपलब्ध मवाद से काम लेते हुए हवालों की रोशनी में सच्चाई को सामने लाने में बड़ी हद तक कामयाब कोशिश की है। उन्होंने शोध और विश्लेषण से उचित जायजा लिया है। इस लिए इस किताब के रूप में सिर्फ अलजमीयत पर ही नहीं पूरी उर्दू पत्रकारिता पर एक शानदार और क़ाबिले कद्र कारनामा अंजाम दिया है। इस मौके पर मुख्य अतिथि डॉ इरशाद से स्यानवी ने अपने विचार रखते हुए कहा कि उर्दू विभाग के अध्यक्ष डाॅ असलम जमशेदपुरी की सरपरस्ती में उर्दू विभाग ने डॉक्ट्रेट की डिग्री प्रदान की है। यह कार्य अपनी तरह का एक अहम और तहकीकी कारनामा है जिसे अलजमीयत की खिदमत पर एक कीमती दस्तावेज कहा जायेगा। उर्दू अखबारों का इतिहास, संघर्ष और स्वतंत्रता संग्राम में अल जमीयत अखबार की अहम भूमिका और योगदान पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए उन्होंने आगे कहा के जो क़ौम अपने बुजुर्गों को भुला देती है उस क़ौम का नामोनिशान नहीं रहता। किताबें मंज़रे आम पर आती हैं यह कोई बात नहीं, बात यह है कि इसके अंदर मौजूद मवाद से अवाम को क्या फायदा हुआ। उन्होंने उर्दू भाषा के विकास और सुरक्षा की जरूरत पर जोर देते हुए कहा के उर्दू मौहब्बत भाईचारे और प्यार की जबान है यह तहज़ीब की निगहबान है। इस भाषा की रक्षा के लिए सभी उर्दू वालों की जिम्मेदारी जलसे के सदर हाजी नूर मौहम्मद कुरैशी ने इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर अपने खुशी प्रकट करते हुए कहा कि हमें हर हाल में उर्दू को जिंदा व जावीद रखना है। अगर उर्दू खत्म हुई तो एक तहज़ीब, एक संस्कृति और एक युग का ख़ात्मा हो जाएगा। हमें उर्दू की तालीम पर तवज्जो देनी चाहिए क्योंकि हमारा सारा साहित्यिक, शैक्षिक, सांस्कृतिक व धार्मिक सरमाया उर्दू भाषा में ही महफूज है। उर्दू की शिक्षा ही उर्दू को जिंदा रख सकती है। उर्दू की बदहाली के लिए हम उर्दू वाले ही बहुत हद तक जिम्मेदार हैं। उन्होंने किताबों के लेखक को मुबारकबाद पेश करते हुए आगे कहा कि इस मिशन को हमें आगे बढ़ाने के लिए भरपूर कोशिश करनी चाहिए। किताब के लेखक डॉक्टर साजिद अली ने इस मौके पर उपस्थित जनों का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि मेरी हौसला अफ़ज़ाई उर्दू की हौसला अफ़ज़ाई है।
उन्होंने बताया कि किन किन कठिनाइयों और दुश्वारियां का सामना करते हुए यह काम अंजाम दिया गया है। इसके लिए वह लगातार कोशिश करते रहेंगे। उर्दू की तरक़्क़ी, तहाफ्फूज़ और पत्रकारिता अखबारात के लिए यह किताब एक प्रकाश पथ साबित होगी। जिससे हम और आने वाली नस्लें लाभप्रद हो सकती हैं। इस मौके पर किताब के लेखक और मेहमान ए खुसीसी का शाल पहना कर और बुके देकर स्वागत किया गया। जलसे के अध्यक्ष हाजी नूर मौहम्मद कुरेशी, मुख्य अतिथि इरशाद अहमद स्यानवी और डॉक्टर साजिद अली को मुस्लिम यूथ कन्वेंशन के बानी मुमताज सहाफी जावेद हबीब से मनसूब अवार्ड से नवाजा गया। जलसे में बड़ी तादाद में साहित्यिक, शैक्षिक सामाजिक और राजनीतिक व्यक्तियों ने भाग लिया। जिनमें हाजी जावेद गाजी, इजलाल अहमद खान, आरिफ सैफी, मास्टर इलियास, मास्टर मौहम्मद अकरम, अब्दुल खालिक़ अंसारी, मौहम्मद सरदार बरनी ,एजाज अहमद, अब्दुल नाफे अंसारी, मौ अकरम, मास्टर मसूद आलम,, अख्तर इकबाल, डॉक्टर हसरत अली चौहान, मौहम्मद अफजल बर्नी, मोहम्मद यामीन अल्वी, शोएब कादरी, जुनैद अख्तर, डॉक्टर हसीब अहमद आमिर गाज़ी एडवोकेट के नाम उल्लेखनीय हैं।